देश अब पीछे नहीं लौटेगा... ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें विपक्ष को बेचैन कर देंगी

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से डाले गये वोट का ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (VVPAT) के साथ 100% मिलान कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से डाले गये वोट का ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (VVPAT) के साथ 100% मिलान कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सहमति से दो फैसले सुनाए। पीठ ने 38 पेज का फैसला लिखा। अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है उनमें दोबारा बैलेट पेपर से चुनाव कराने की प्रकिया पुन: अपनाने का अनुरोध करने वाली याचिका भी शामिल रही। इन याचिकाओं में गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) की एक याचिका भी शामिल थी। इसमें मतपत्रों से चुनाव कराने की पुरानी प्रणाली फिर से अपनाने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एडीआर की मंशा पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी समूहों द्वारा राष्ट्र की उपलब्धियों को कमतर करने का प्रयास किए जाने की प्रवृत्ति तेजी से विकसित हुई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की प्रगति को बदनाम करने, कमतर करने और कमजोर करने का एक समन्वित प्रयास किया जा रहा है और ऐसे किसी भी प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए। वहीं, पीएम मोदी ने इस फैसले को विपक्ष के मुंह पर करारा तमाचा बताया। हालांकि, विपक्ष दल कांग्रेस ने कहा है कि वह चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर राजनीतिक अभियान जारी रखेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ईवीएम पर सवाल उठने बंद हो जाएंगे। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ी एक-एक बात

फैसले की 10 अहम बातें

  1. ईवीएम सुरक्षित और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल है। मतदाता, उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि तथा निर्वाचन आयोग के अधिकारी ईवीएम प्रणाली की मूलभूत विशेषताओं से अवगत हैं। ईवीएम को हैक करने या इसमें हेरफेर करने या नतीजों को बदलने की संभावना नहीं है।
  2. वीवीपैट को शामिल कर एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली, जो मतदाताओं को यह जानने में सक्षम बनाती है कि उनके वोट सही ढंग से दर्ज किए गए हैं या नहीं, वोट सत्यापन के सिद्धांत को मजबूत करता है जिससे चुनावी प्रक्रिया की समग्र जवाबदेही बढ़ जाती है।
  3. 'VVPAT' पर्चियां देना समस्या पैदा करेगा। यह अव्यावहारिक है। ऐसा करना इसका दुरुपयोग किए जाने एवं विवादों को बढ़ावा देगा।
  4. जब तक ईवीएम के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जाते, तब तक आगे कदम बढ़ाते हुए सुधार के साथ मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी। बैलेट पेपर या ईवीएम के किसी भी विकल्प को अपनाने के प्रतिगामी उपायों से बचना होगा, जो भारतीय नागरिकों के हितों की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं करते हैं।
  5. चाहे नागरिक हों, न्यायपालिका हो, निर्वाचित प्रतिनिधि हों, या यहां तक कि चुनावी मशीनरी, लोकतंत्र खुले संवाद, प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रथाओं में सक्रिय भागीदारी द्वारा व्यवस्था में लगातार सुधार के माध्यम से अपने सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पैदा करने के प्रयास से संबंधित है।
  6. व्यवस्थाओं या संस्थानों के मूल्यांकन में संतुलित परिप्रेक्ष्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है। तंत्र के किसी भी पहलू पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह पैदा कर सकता है तथा प्रगति में बाधक बन सकता है।
  7. देश को पिछले 70 वर्ष से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने पर गर्व रहा है, जिसका श्रेय काफी हद तक ईसीआई (भारत निर्वाचन आयोग) और जनता द्वारा उस पर जताए गए विश्वास को दिया जा सकता है।
  8. समय के साथ ईवीएम खरी उतरी हैं और मतदान प्रतिशत में वृद्धि इस बात को मानने का पर्याप्त कारण है कि मतदाताओं ने मौजूदा प्रणाली में विश्वास व्यक्त किया है।
  9. अदालत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की प्रभावशीलता के बारे में याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं और अटकलों के आधार पर आम चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने और उसे प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकती।
  10. याचिकाकर्ता ना तो कभी यह दिखा पाए कि चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के सिद्धांत का कैसे उल्लंघन करता है और न ही डाले गए सभी वोट से वीवीपैट पर्चियों के शत प्रतिशत मिलान के अधिकार को साबित कर सके।
मुझे भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ वकील की इस दलील को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि पुराने जमाने की ‘कागज वाली मतपत्र प्रणाली’ पर लौटने की बात मतदाताओं के दिमाग में अनावश्यक संशय पैदा करके ईवीएम के माध्यम से मतदान की प्रणाली को बदनाम करने और चालू मतदान प्रक्रिया को बेपटरी करने की वास्तविक मंशा को उजागर करती है। आने वाले वर्षों में लोग केवल ईवीएम में सुधार या कोई और बेहतर प्रणाली की ही अपेक्षा रखेंगे।
जस्टिस दीपांकर दत्ता, सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में क्या है?

  • एक मई से, चिह्न ‘लोड’ करने की यूनिट को एक कंटेनर में सील व सुरक्षित किया जाए। चुनाव नतीजों की घोषणा के कम से कम 45 दिनों की अवधि तक ‘स्ट्रॉंग रूम’ में ईवीएम के साथ रखा जाए।
  • चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट ले जाने वाले कंटेनरों को पोलिंग एजेंटों और उम्मीदवारों की उपस्थिति में सील किया जाना चाहिए।
  • कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट को मतगणना के परिणाम के बाद मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के इंजीनियर सत्यापित करेंगे।
  • ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों को यह अनुमति दी कि वे परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीन के ‘माइक्रोकंट्रोलर’ को वेरिफाई कर सकते हैं।
  • इसके लिए इन उम्मीदवारों को आयोग को एक लिखित आवेदन देना होगा।
  • सभी उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि सत्यापन के समय उपस्थित रह सकते हैं। ऐसा परिणाम घोषित होने की तारीख से 7 दिनों की अवधि के भीतर किया जाना चाहिए।
  • सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, वास्तविक लागत या खर्च चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित किया जाएगा और उम्मीदवार इसका भुगतान करेंगे।
  • ईवीएम में गड़बड़ी या छेड़छाड़ साबित होने पर उम्मीदवार की तरफ से जमा राशि को वापस कर दिया जाएगा।
  • चुनाव आयोग से इस बात की जांच करने को कहा कि क्या वीवीपैट पर्चियों पर पार्टी के चुनाव चिन्ह के अलावा कोई बारकोड हो सकता है, जिसे मशीन से गिना जा सके।
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40 मौकों पर खारिज हुई हैं याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने रेखांकित किया कि कम से कम 40 मौकों पर संवैधानिक अदालतों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की हैं। पदाधिकारियों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार की उस टिप्पणी को भी रेखांकित किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ईवीएम ‘शत प्रतिशत सुरक्षित हैं’ और राजनीतिक दल भी ‘दिल की गहराई से जानते हैं’ की मशीन सही है।

इस फैसले ने कांग्रेस और ‘इंडिया’ के अन्य घटकों को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर चुनाव आयोग को 'बदनाम' करने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री

जनता से माफी मांगे विपक्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह फैसला कांग्रेस नीत विपक्ष के लिए "करारा तमाचा" है और ईवीएम को लेकर अविश्वास पैदा करने के लिए 'माफी' मांगनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के अररिया और मुंगेर में चुनावी सभाओं में कहा कि यह कांग्रेस-नीत ‘इंडिया’ गठबंधन को करारा तमाचा है। उसे ईवीएम के खिलाफ अविश्वास पैदा करने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इसने निर्वाचन आयोग को बदनाम करने की कोशिश करने वाली कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों को बेनकाब कर दिया है।

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क्या कह रही कांग्रेस

कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT से संबंधित जिन याचिकाओं को खारिज किया है उनमें वह किसी भी तरह से पक्ष नहीं थी। पार्टी चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर राजनीतिक अभियान जारी रखेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'वीवीपैट पर जिन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया, उनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक पक्ष नहीं थी। हमने दो जजों की पीठ के फैसले पर विचार किया है और चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर हमारा राजनीतिक अभियान जारी रहेगा।
यदि आप जीतते हैं तो ईवीएम में कोई खराबी नहीं है, यदि आप हारते हैं तो इसका कारण ईवीएम है। यदि एक वीवीपैट गणना सांख्यिकीय रूप से पर्याप्त है, तो पांच वीवीपैट गणना इसे 500 प्रतिशत विश्वसनीय बनाती है।
एन गोपालस्वामी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

पूर्व चुनाव आयुक्तों की राय

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों (CEC) ने वीवीपैट से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का शुक्रवार को स्वागत किया। पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) ने 2017 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) से संपर्क किया था। आयोग ने मतदाताओं का 99.99 प्रतिशत विश्वास सुनिश्चित करने के लिए वीवीपैट-ईवीएम वेरिफिकेश के सैंपल पर जवाब मांगा था। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने फैसला किया कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र की पहचान ईवीएम-वीवीपैट मिलान के लिए की जाएगी। एक अन्य पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी ने रावत के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि यदि एक वीवीपैट गणना सांख्यिकीय रूप से पर्याप्त है, तो पांच वीवीपैट गणना इसे 500 प्रतिशत विश्वसनीय बनाती है। गोपालस्वामी ने कहा कि यदि आप जीतते हैं तो ईवीएम में कोई खराबी नहीं है, यदि आप हारते हैं तो इसका कारण ईवीएम है। एक अन्य पूर्व सीईसी ने कहा कि अदालतों ने कई मौकों पर ईवीएम के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी हैं।


याचिकाकर्ता के पास अब क्या विकल्प?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता के पास अभी भी रिव्यू पिटिशन और क्यूरेटिव पिटिशन का विकल्प है। हालांकि, गौर करने वाली बात है कि रिव्यू पिटिशन पर वही पीठ विचार करती है जिसने फैसला सुनाया होता है। आमतौर पर चैंबर में ही रिव्यू पिटिशन का निपटारा होता है। पहले जितने भी मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ रिव्यू पिटिशन और क्यूरेटिव पीटिशन दाखिल की गई है उनमें से करीब अधिकतर याचिकाएं खारिज ही हुई हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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